Saturday, March 28, 2009

तरही ग़ज़ल-कभी एक़रार चुटकी मेँ कभी इंकार चुटकी मेँ

तरही ग़ज़ल-कभी एक़रार चुटकी मेँ कभी इंकार चुटकी मेँ
ख़ुर्शीदुल हसन नय्यर
सऊदी अरब

किए हैँ आज मौज़ूँ मैँने कुछ अशआर चुटकी मेँ
दिली जज़बात का होने लगा इज़हार चुटकी मेँ

कभी बरसोँ गुज़र जाता है देखे प्यार का मौसम
कभी आ जाती है फसले बहार-ए-प्यार चुटकी मेँ

मसीहा बन के तुम आ जाओ जो ख़्वाबोँ की दुनिया मेँ
शेफा पा जाएगा मेरा दिले बीमार चुटकी मेँ

वह शोख़ी याद है जाने तमन्ना तुमसे मिलने की
कभी एक़रार चुटकी मे कभी इंकार चुटकी मेँ

किया है किश्ते दिल की आबयारी अश्क से बरसोँ
नहीँ होता है कोई भी चमन गुलज़ार चुटकी मेँ

नहीँ है साथ कोई मुफलिसी मेँ पर यकीँ जानो
जो माल आया तो बन जाएँगे कितने यार चुटकी मेँ

तुमहारी बेरुख़ी पर हो गया बेचैन पल भर मेँ
मगर फिर गुफतगू से हो गया सरशार चुटकी मेँ

कहीँ टूटे न यह दिल आइना है यह मोहब्बत का
सो उसकी बात का नय्यर किया एक़रार चुटकी मेँ


शेफा पा जाएगा-अच्छा हो जाएगा, किश्ते दिल-दिल की खेती, आबयारी-सीँचाई,ससरशार-ख़श

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